अपन मिथला महान , मिथलाके संस्कृति महान छै ।
अपन मिथला महान , मिथलाके संस्कृति महान छै ।
उर्वर भुमि स भरल मिथला , घर घर अन्न भण्डार छै।
आमक गाछी कोयल कुहके , मौसम सदावहार छै।
अपन मिथला महान , मिथलाके संस्कृति महान छै।
हरियर हरियर बारी बगैंचा , हरियर खेत खरिहान छै।
रंगिबिरंगी फुल खिलाइल मिथला स्वर्ग समान छै।
अपन मिथला महान , मिथलाके संस्कृति महान छै ।
अषार महिना बेङ बजै छै , मधुर मधुर गीत गाबै छै।
संगीतक धुन मे बोलै चिरैया , भमरा नाच दिखाबै छै।
अपन मिथला महान , मिथला के संस्कृति महान छै।
राइत अनहरिया भुकभुक बरै भगजोगनी राती के मान बढाबैछै।
चाइर पहर मे नरहिया बोले समय के ज्ञान कराबै छै।
अपन मिथला महान , मिथलाके संस्कृति महान छै ।
सुवह प्राती संझा आरती , भजन प्रभुके गाबै छै।
मठ मंदिर मे बैठ पुजारी , प्रभुके भोग लगाबै छै।
अपन मिथला महान , मिथला के संस्कृति छै ।
सीता माइ के जन्मभूमि , जनकपुर मिथलाके सान छै।
सुगन्ध भरल यै धर्ती पर, मिथला वासी के अभिमान छै।
अपन मिथला महान , मिथला के संस्कृति महान छै ।
वन जंगल और ताल तलैया यै धर्ती पर विध्यमान छै।
बागमती कोशी कमला जैसन नदि, प्राकृतिक के वरदान छै।
अपन मिथला महान , मिथला के संस्कृति महान छै -२।
लेखक: राज कुमार साफी
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