कविता (एहने अछि हमरा गामकें परिभाषा)

  • चैत १६, २०७४
  • ९६० पटक पढिएको
  • सिराहा टाइम्स
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एहने अछि हमरा गामकें परिभाषा।
लगाकें झगरा देखैत रहत तमासा।।
जलारीकें जालमें फसल गाम समाज।


देखैय नै अपन गामकें हवे केहन दुर्दशा।।


सोनित लाल मुदा जात अनेक छै।
कनियो नै रहल ककरोमें विवेक छै।।
हँसैत गामकें नाम मुरझाय लागल।
तैंय हमरो हियामें लागल आइ चोट छै।

चौगामामें छल सोर छैक गाम अपन बिजोड।
मन्दिरमें घण्टी नितदिन करैत छल कलोल।।
आब जे सुनती शंखकें अबाज तरसजाय कान।
देखिकें अपन समाजकें कुरीती मन भेल छै बिभोर।।

चन्दन सन चमक छल फुल सन गमक।
उजरिगेल सब आयल एहन उ धमक।।
दमन शोषण आ अत्याचारकें कारण।
बिगड़ल अछि हमरा समाजकें अनुगमन।।

एक'सॅ एक अछि एहिठाम अपराधी।
मन करैय बैन्न जैती आबि हम बागी।।
जोगैती पहिचान अछि मनकें अभिलाषा।
एहने अछि हमरा गामकें परिभाषा।।

®प्रेमी रविन्द्र
गाम:-सिंहासिनी -८महोत्तरी नेपाल
मधेश प्रदेश

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