कविता: हमर गाम

  • कार्तिक २३, २०७८
  • १०५२ पटक पढिएको
  • सिरहा टाइम्स
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कविता: हमर गाम ✍️ऋतिक मिथिलामे परई छई भैया।हमर छोट गाम राजा सलहेश आ बाबा हरसिंहदेव जिके जतछई धाम। ओहिय भैया गामक राजा डिहबारोके छई दरबार। संगे मैयाँ भगवती आ राजदेवीके छई थान। बाबा हमर कहैछ्याला बौआ अपन गामछौ देवपीतर घेरल। कोनो दिशामे निक्लबअहा सीश झुकाक अगाडि बढ्ब। मिथिलाके इतिहासमे लिखल पतालो पोखरी हम्रे गाममे छई। अखन्को जाक देखु अहा भजन्दै सरदार अबस्थित अपने ठाम्प छई। ओहिज माता दुर्गा संगे दिनाभद्री ओके थान छई। संगे हनुमान ढोका सन् पवित्रो स्थान छई। देवोके देव महादेव जिके हम्रो गाममे बास छई। तबेत हम कहैछि भैया हमर गाम खास छई यौ, हमर गाम खास छई।।।।

नाम : ऋतिक मण्डल

ठेगाना:लक्ष्मीपुर पतारी-०३(हरिनगर)

सिराहा

 

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